पत्थर जब फलदार शजर पर मारेगा |
फल ही देगा और नहीं तो क्या देगा ||
नामुमकिन को मुमकिन करना है आसान |
कुछ करने को दिल में अगर तू ठानेगा ||
सब को है मालूम करोगे जब भी इश्क़ |
सारा ही सुख –चैन तुम्हारा लेलेगा ||
कैसे -कैसे आप कमा कर लाते हैं |
कल को बच्चा बात सभी ये पूछेगा ||
ढीला – ढाला जंग में होगा जो शामिल |
हर कोई उस पे ही निशाना साधेगा ||
कच्चा फल है सब्र करो पक जाने तक |
इक दिन इसका स्वाद ज़माना मानेगा ||
‘सैनी’ख़ाली हाथ चला है मंज़िल पर |
उससे अब क्या कोई लुटेरा छीनेगा ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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