क्या उठा उनके दिल में फ़ुतूर |
मुझ से रहने लगे दूर -दूर ||
आदमी मैं बुरा ही सहीअ |
काम आऊँगा इक दिन ज़ुरूर ||
बैठ बज़्म -ए -अदब में तू रोज़ |
आ ही जाएगा इक दिन शऊर ||
सच्ची सूरत जो कर दी बयाँ |
आइने को किया चूर -चूर ||
मुझ से शायद कोई काम है |
आज घर मेरे आये हुजूर ||
आ गया थोड़ा उन में ग़ुरूर ||
आप ‘सैनी ’की ग़ज़लें पढ़ें |
कईं दिनों तक रहेगा सुरूर ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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