Monday, 3 September 2012

कभी सोचा नहीं था ये


मुझे  वो  भूल  जाएगा  कभी  सोचा  नहीं    था  ये |
ख़यालों   में   सताएगा  कभी  सोचा   नहीं  था  ये || 

मेरी  रातों  की  नींदे  और  ये  सुख  -चैन  सारा  ही |
वो   लेकर  साथ  जाएगा कभी  सोचा  नहीं  था  ये || 

हमारे  मुल्क  में  इस  बार  ये  बरसात  का मौसम |
तबाही   लेके   आयेगा  कभी   सोचा   नहीं  था   ये || 

जिसे हमने कभी छोड़ा था बिल्कुल अधमरा करके |
वो  दुश्मन  सर  उठाएगा कभी  सोचा  नहीं  था  ये || 

समझ कर अपना मैंने जो कही दो -चार  बातों का |
बतंगड़  वो  बनाएगा  कभी   सोचा    नहीं   था  ये || 

पिलाया दूध जिसको अपने बच्चों की तरह हमने |
हमें  वो  काट  खायेगा  कभी   सोचा  नहीं  था  ये || 

हमेशा   याद  आते  हैं वो बचपन के सुनहरे दिन |
सभी  कुछ  छूट  जाएगा  कभी सोचा नहीं था ये || 

लगी  है   नौकरी  बेटे  ने  तबसे   आँख  फेरी  है |
हमें  ये  दिन  दिखाएगा  कभी  सोचा नहीं था ये || 

कभी  इक  राज़ खोला था जो मैंने सामने उसके |
वो ‘सैनी ' को बताएगा  कभी  सोचा  नहीं था ये || 

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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