Sunday, 5 August 2012

चांदनी का सफ़र


आप  बन कर चले जब  मेरे हमसफ़र |
लो  शुरू  हो  गया   चांदनी  का  सफ़र ||

मेरी  आँखों  में  हैं  इक अनोखी चमक |
साथ  है  जो  मेरे  आप  सा   हमसफ़र ||

ये   ज़रूरी   नहीं   आज   ही   तू   मिले |
राह   देखूंगा   मैं   तो    तेरी   उम्र   भर ||

वक़्त थोड़ा सा मेरे भी लिए तो  निकाल |
वक़्त पर काम कर वक़्त पर प्यार कर ||

पार    करले    ये   काँटों   भरा    रास्ता |
बाद   इसके   है  फूलों   भरी   वो  डगर ||

इश्क़   में  मुब्तिला  जब  से  तेरे  हुआ |
दुन्यादारी  में बिल्कुल हुआ मैं  सिफ़र ||

तुझसे  रुसवा हुआ  तो   ये   हालत  हुई |
इस  तरफ़ है  कुआ  तो   है  खाई  उधर ||

क्यूँ  ग़रूर   इतना  है  ये  बता  तो  सही |
रिश्ते    नाते   सभी  रख दिये  ताक़ पर ||

है   बिना  प्यार   के  बोझ   ये    ज़िंदगी  |
जिसको ढोता फिरे ‘सैनी’शाम-ओ-सहर ||

डा ० सुरेन्द्र  सैनी      



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