Tuesday, 14 August 2012

ख़ुदा के फ़ैसले


जो   मिला   ज़िंदगी   में   उसे   लीजिये   फ़ैसले   उस ख़ुदा    के  बदलते   नहीं |
लाख   कोशिश   करो   तोड़ने   की   इन्हें   ये   सितारे   ज़मीं  पे   बरसते  नहीं ||

आप     रोते     रहो     गिडगिडाते     रहो    रोज़    ढेरो    चढ़ावा    चढाते    रहो |
ये हैं पत्थर के बुत इनकी फ़ितरत यही कितनी करलो परस्तिश पिघंलते नहीं ||

जब भी  की  बात  उनसे  तो  ये  ही  सूना  आज  फ़ुर्सत नहीं फिर कभी  आइये |
और   हम  पे  ये  इल्ज़ाम   लगता   रहा  हम ही  उनसे कभी बात   करते  नहीं ||

तेरे   आने   से   इक   रोशनी    सी   हुई   दूर   घर   की   मेरे   तीरगी  हो  गयी |
वर्ना   बैठे   थे   हम   तो  तसल्ली  किये  आँधियों  में  कभी   दीप जलते  नहीं ||

साथ रहता है साया बशर के सदा वक़्त  कैसा  भी  मुश्किल  कहीं  पर  भी   हो |
दो  क़दम  चल के  कह  देते  हैं  अलविदा  दूर  तक सब सदा साथ  चलते नहीं ||

आज तक हमने जो भी कहा ए सनम सब तुम्हारे   लिए   बस   तुम्हारे  लिए |
जिक्र  तेरे  फ़साने  का  जिनमें  न  हो  हम  कभी  इसे अलफ़ाज़ लिखते नहीं ||

ज़हर पी लेगा जितना पिलाओगे तुम उसके  माथे  पे  होगी  न   कोई  शिकन |
बोल  ‘सैनी ’ को  मीठे  मगर  बोलना  उसको  कडुए  कभी  बोल   पचते  नहीं ||

डा०  सुरेन्द्र  सैनी 

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