जो मिला ज़िंदगी में उसे लीजिये फ़ैसले उस ख़ुदा के बदलते नहीं |
लाख कोशिश करो तोड़ने की इन्हें ये सितारे ज़मीं पे बरसते नहीं ||
आप रोते रहो गिडगिडाते रहो रोज़ ढेरो चढ़ावा चढाते रहो |
ये हैं पत्थर के बुत इनकी फ़ितरत यही कितनी करलो परस्तिश पिघंलते नहीं ||
जब भी की बात उनसे तो ये ही सूना आज फ़ुर्सत नहीं फिर कभी आइये |
और हम पे ये इल्ज़ाम लगता रहा हम ही उनसे कभी बात करते नहीं ||
तेरे आने से इक रोशनी सी हुई दूर घर की मेरे तीरगी हो गयी |
वर्ना बैठे थे हम तो तसल्ली किये आँधियों में कभी दीप जलते नहीं ||
साथ रहता है साया बशर के सदा वक़्त कैसा भी मुश्किल कहीं पर भी हो |
दो क़दम चल के कह देते हैं अलविदा दूर तक सब सदा साथ चलते नहीं ||
आज तक हमने जो भी कहा ए सनम सब तुम्हारे लिए बस तुम्हारे लिए |
जिक्र तेरे फ़साने का जिनमें न हो हम कभी इसे अलफ़ाज़ लिखते नहीं ||
ज़हर पी लेगा जितना पिलाओगे तुम उसके माथे पे होगी न कोई शिकन |
बोल ‘सैनी ’ को मीठे मगर बोलना उसको कडुए कभी बोल पचते नहीं ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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