Sunday, 8 April 2012

दिल-ए -बीमार


दिल-ए -बीमार की हालत कभी  तो देख लो आ कर |
पुकारा है बड़ी शिद्दत  से  उसने  आज   पछता  कर ||

 तुम्हारी अहमियत कितनी हमारा दिल समझता है |
ज़रा फ़ुर्सत में इसको सोचियेगा  आज घर  जा  कर ||

हमारी   हद   हमें   मालूम   है  फिर  डींग  क्यूँ हांके |
 फ़लक़ से तोड़ कर  देंगे  न  तारे  आपको  ला   कर ||

न  गोली से,न खंजर से,न  डर लगता  मिसाइल   से |
हमें डर उससे  है  जो  लूटता  है  प्या र दिखला  कर ||

कमी  उसने  नहीं    छोडी   मुझे   बरबाद    करने  में |
कभी लालच से फुसलाकर कभी बातों से बहका  कर || 

अगर    खैरात     वो    देंगे  तो   होगी शर्त  ये  पहली |
बड़ा  सा  बोर्ड  टंगवा  दो उन्ही का नाम लिखवा  कर ||

ज़रा  ‘सैनी’ से  जाकर   पूछिए   क्यूँ   है  परेशाँ   वो |
हुआ है ज़ाफ़रानी सा बदन क्योंकर ये कुम्हला  कर ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

Tuesday, 3 April 2012

नहीं चाहत रही


नहीं  चाहत  रही   कोई   कभी   इनआम   पाने  की |
मेरी ख़्वाहिश रही दुन्या को बस खुशियाँ लुटाने की ||

लहू   जलता   रहा  मेरा   क़लम  चलता  रहा  मेरा |
नहीं  परवाह   की   मैंने   कभी  खाने - कमाने  की ||

तुम्हारे  प्यार  के  आगे नहीं   टिकती  कोई  दौलत |
हज़ारों   बार    झेली   ज़िल्लतें   मैंने   ज़माने  की ||

नज़र  आये  ज़बीं पर  देख लीजे  प्यार  कितना  है |
ज़रूरत  ही  नहीं  पड़ती   मुझे   इसको  बताने  की ||

मुझे  जो  प्यार  करते   हैं   सलामत   वो    रहें  सारे |
उन्ही से मिलती है ताक़त मुझे लिखने -लिखाने की ||

कहें  अच्छा ,पढ़े  अच्छा  ये सबका  फ़र्ज़  बनता  है |
सभी की ज़िम्मेदारी है ये  नस्लों  को   सिखाने  की ||

बड़ी   ही  तंगदस्ती  में  रहा  है   आज   तक  ‘सैनी’|
जगह क्या ईंट  इक हासिल नहीं  है आशियाने की ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

Monday, 2 April 2012

एक तरफ़


दौलत  सारी  एक  तरफ़ |
पर   ख़ुद्दारी  एक  तरफ़ ||

बातें  प्यारी  एक  तरफ़ |
ज़िम्मेदारी  एक  तरफ़ ||

धंधे  की  है  बात  अलग |
आपसदारी   एक  तरफ़ ||

सीने  पर  कर वार मगर |
रख मक्कारी एक तरफ़ ||

दीवाली   की   रात  कहीं |
है    बेज़ारी   एक  तरफ़ ||

कर   देता   है  इश्क़ सदा |
सब  बीमारी  एक  तरफ़ ||

‘सैनी’की सब  आज पडी |
हसरत न्यारी एक तरफ़ ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

हिम्मत


नज़र लगती है जब आने किसी बीमार की हिम्मत |
तो बढ़ जाती  है उसके पूरे ही परिवार  की  हिम्मत ||

दिखाने  को  दिखाले  तू   हमें  हथियार  की  हिम्मत |
कभी  तू देख  तो  आकर  हमारे  प्यार   की  हिम्मत ||

सुना  है  ताब  उसके  हुस्न   की सूरज से बढ़ कर  है |
मेरा  कमज़ोर   दिल  कैसे करे   दीदार  की  हिम्मत ||

तुम्हारे  इक  इशारे   पर   हमारी   जान   हाज़िर   है |
भला  हम  में  कहाँ  से  आयेगी इन्कार की हिम्मत ||

निकलते  हैं  वो  जब  घर   से  पडौसी  तंज़ करता  है |
दिन -ओ -दिन बढ़ रही है देखिये बदकार की हिम्मत ||

सही लोगों को  चुन  कर  भेजिए  इक  बार  संसद  में |
ग़लत करने की कुछ होगी नहीं सरकार की  हिम्मत ||

अगर  हम  एक  हो  जाए  रहे  मिलकर  सलीक़े  से |
फ़ना  कर  दे  हमें  होगी   नहीं  ग़द्दार   की  हिम्मत ||

भरोसा   है  नहीं   मुझको   ज़माने   के   वसीले  का |
हमेशा  काम  आती  है   मेरे  किरदार  की  हिम्मत ||

संभलना तुम ज़रा ‘सैनी’न पड़ जाओ मुसीबत  में |
बुढापे  में  दिखाने   चल  पड़े  बेकार  की  हिम्मत ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी